।। शिवमहिम्नस्तोत्र=हिंदी अर्थ के साथ - Shiva Mahimna Stotra

Details
Title | ।। शिवमहिम्नस्तोत्र=हिंदी अर्थ के साथ - Shiva Mahimna Stotra |
Author | Eternal Dharma-सनातन धर्म -हिन्दू संस्कृति |
Duration | 8:05 |
File Format | MP3 / MP4 |
Original URL | https://youtube.com/watch?v=lsS1lnghK2g |
Description
शिवमहिम्नस्तोत्र में कहा गया है-
।।स्तोत्रेण किल्बिषहरेण हरप्रियेण। हर ।।
अर्थात्:- हर प्रकार के पापों को समन करने वाला यह स्तोत्र भगवान शिव को अतिप्रिय है। यह स्तोत्र साक्षात् शिवस्वरूप है तथा शिवभक्तों में अत्यंत प्रचलित हैं।
महिम्नः पारं ते परमविदुषो यद्यसदृशी ।
स्तुतिर्ब्रह्मादीनामपि तदवसन्नास्त्वयि गिरः।।
अथाऽवाच्यः सर्वः स्वमतिपरिणामावधि गृणन् ।
ममाप्येष स्तोत्रे हर निरपवादः परिकरः।। १।।
भावार्थ: पुष्पदंत कहते हैं कि हे प्रभु ! बड़े बड़े विद्वान और योगीजन आपके महिमा को नहीं जान पाये तो मैं तो एक साधारण बालक हूँ, मेरी क्या गिनती? लेकिन क्या आपके महिमा को पूर्णतया जाने बिना आपकी स्तुति नहीं हो सकती? मैं ये नहीं मानता क्योंकि अगर ये सच है तो फिर ब्रह्मा की स्तुति भी व्यर्थ कहलाएगी। मैं तो ये मानता हूँ कि सबको अपनी मति अनुसार स्तुति करने का अधिकार है। इसलिए हे भोलेनाथ! आप कृपया मेरे हृदय के भाव को देखें और मेरी स्तुति का स्वीकार करें।।