BAHOT DIYA DENEWALE NE TUJHKO...SOORAT AUR SEERAT...1962...MUKESH...ROSHAN...SHAILENDRA

Details
Title | BAHOT DIYA DENEWALE NE TUJHKO...SOORAT AUR SEERAT...1962...MUKESH...ROSHAN...SHAILENDRA |
Author | Sharad Patwa |
Duration | 3:06 |
File Format | MP3 / MP4 |
Original URL | https://youtube.com/watch?v=d1dT5V8CpGc |
Description
बहोत दिया देनेवालेने तुझको...
फिल्म : सूरत और सीरत(१९६२).
गायक : मुकेश.
संगीतकार : रोशन.
गीतकार : शैलेंद्र.
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"सूरत और सीरत" यह अभिनेत्री शोभना समर्थके खुदके प्रॉडक्शनकी तिसरी और आखरी फिल्म. उसके पहले "हमारी बेटी(१९५०)" इस प्रथम फिल्म की निर्मिती के अलावा निर्देशनभी उसने स्वयं किया था और अपनी दोनों बेटीयाँ- नूतन और तनुजा इनको मुख्य भूमिकामें चमकाया था. फिर १९६० में "छबिली" फिल्ममें भी इन्हीं दोनों बेटीयाँ को मुख्य भूमिका दी थी. और उनके प्रॉडक्शन की यह आखरी फिल्म "सूरत और सीरत(१९६२)" में नूतनही नायिका थी और नायक थे धर्मेंद्र. उनकी तीनही फिल्में बॉक्स ऑफिसपर पीट गयी थी. "छबिली" और "सूरत और सीरत" की तो प्रिंट भी उपलब्ध नहीं है..लिहाजा उन फिल्म का प्लॉट क्या था ये पताही नहीं. "सूरत और सीरत" फिल्म के निर्देशकका नाम बहल है. लेकीन यह बहल संभवत: वो नेव्हल लेफ्टनंट कमांडर रजनीश बहल नहीं होंगे जिससे नूतनका १९५९ में ब्याह हुआ था.
फिल्मी गीतकारोंमें साहिर, शकील, कैफ़ी आज़मी, राजा मेहंदी अली खान, मजरूह, भरत व्यास, क़मर जलालाबादी, एस.एच.बिहारी, नक्श लायलपूरी आदी सभी गीतकारोंकी काव्यप्रतिभाने मुझे काफ़ी प्रभावित किया है. लेकीन सबसे ज्यादा प्रभाव अगर किसी गीतकारने मुझपर डाला है तो वे है शैलेंद्र ! अत्यंत सीधे-साधे शब्द की ऐसी एक खुबसूरत माला लेकर वे हरदम बहोतही गहरा आशय और जीवनका सिद्धांत/सार/फलसफ़ा हमें नज़र कर देते है. प्रस्तुत गीतभी इसकी मिसाल है.
"बरसात की रात(१९६०)" पहलेके रोशनजीके कार्यकाल का संलक्षण- संगीत अच्छा पर फिल्में फ्लॉप- यह १९६० के बादभी जिन चारपाच फिल्मोंमें देखने मिला उसमें यह "सूरत और सीरत" फिल्म भी है. प्रस्तुत गीत में रोशनजीने दो ही साज सही लेकीन उनका प्रभावी इस्तमाल किया है. मेरा यह पसंदीदा गीत है.